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Saturday, January 16, 2010

पप्पू पार्ट - 2



दोस्तों हम सबने पप्पू को बहुत समझाया की पप्पू पढाई कर ले, पढाई कर ले फ़ालतू की आवारागर्दी करना छोड़ दे और आखिर हमारी मेहनत रंग लायी और पप्पू ने पढाई शुरू कर दी और वो अपनी पढाई में लग गया है और देखते है उसने क्या क्या किया है तो शुरू करते है

पप्पू पार्ट - 2




फरवरी में ऐसा भूत चढ़ा


की पप्पू जंग में कूद पड़ा


दिन रात वो लड़ता रहता


लेकिन कभी न वो थका


शत्रु बहुत था ताकतवर


लेकिन उसको लगा न डर


बेख़ौफ़ हो वो आगे बढ़ा


की पप्पू जंग में कूद पड़ा,


खाना पीना छोड़ के सब


लड़ता रहता वो तो बस


आधी जंग वो जीत चुका था


दुश्मन को वो पीट चुका था


आगे बढता वो चला


की पप्पू जंग में कूद पड़ा


आ गया मार्च का महिना


पप्पू हो गया पसीना पसीना


अब आर पार की लड़ाई थी


पप्पू ने भी रणनीति बनाई थी


असली दुश्मन से पप्पू का अब था सामना


पप्पू ने की भगवान से प्रार्थना


पूरे जोश के साथ वो दुश्मन से लड़ा


की पप्पू जंग में कूद पड़ा


लड़ता गया लड़ता गया


दुश्मन को मार आगे बढता गया


सब दुश्मनों को उसने कर दिया साफ़


अब लड़ाई हो चुकी थी समाप्त


अब पप्पू को चैन आया


अप्रैल और मई उसने छुट्टी में बिताया


जून में आया पप्पू के युद्ध का परिणाम


हमने पूछा पप्पू का हाल


पप्पू ने कहा ख़ुशी की है बात


आपका पप्पू हो गया पास !!

Sunday, January 10, 2010

गीत गाता है


तुमको देखते ही मुझे तुम पर प्यार आता है
ना जाने क्यों मुझे बार बार यही खयाल आता है !

ऐसा लगता है जैसे तू मेरी है सिर्फ मेरी
खुदा के द्वार से भी यही पैगाम  आता है !

तू मुझे प्यार करे या ना करे
लेकिन मुझे तो तुझ पर प्यार आता है !

तू मुझसे मिलने आये या ना आये
पर तुझसे मिलकर ही मुझे करार आता है !

पहले तो तू मुझसे मिलने आ जाया करती  थी
लेकिन अब सिर्फ तेरा सलाम आता है !

जो गीत बरसो पहले तेरे होंठो पर आया था
आज कुलदीप सिर्फ वो ही गीत गाता है !

Wednesday, January 6, 2010

सुबह


सुबह आती है
रोशनी के साथ
अँधेरे को चीरते हुए
जो पहचान है
बुराई के अंत  की
अच्छाई की बुराई पर विजय  की

सुबह आती है
पक्षियों के चहकने के साथ
जो पहचान है आजादी की
खुले आकाश में उड़ने की
लक्ष्य को पाने की
कुछ कर दिखाने की


सुबह आती है
फूलो के खिलने के साथ
जिनकी भीनी - भीनी खुशबू से
समां महक उठता है
जो सदा मुस्कुराने की
प्रेरणा  देते है

सुबह आती है
ईश्वर  के नाम के साथ
जो सत्य है , प्रेम है
जो सिखाता है
सभी से प्रेम करना
दुखियों की सेवा करना

सुबह आती है
हमें बताने के लिए
उठो जागो और कर्म करो
ताकि एक नयी सुबह
फिर से आ सके
तुम्हे जगाने के लिए

बेवफा


मुकद्दर ऐसा है
चाहू  जिसे वो मिलता नहीं
गर्दिश में है
मेरी किस्मत का सितारा
कोई फूल मेरी बगिया में
खिलता नहीं
टूट जाते है ख्वाब सारे
ख्वाब हकीकत होते नहीं
नसीब मिला है मुझको ऐसा
किसी से दिल मिलता नहीं
ईन्तजार करता है दिल हमेशा
ईन्तजार ख़त्म होता नहीं
कुछ बात तो है
जो हुआ वो बेवफा
यू ही तो कोई
बेवफा होता नहीं

Monday, January 4, 2010

घूंघट


गाँव के पनघट पर
गोरिया पानी भरने आती थी
घूंघट में अपने
चेहरे को छुपाती थी
कही कोई देख न ले
इस लाज - शर्म के मारे
बार - बार घूंघट को
नीचे सरकाती थी
एक दूजे की
सुख - दुःख  की कहानी
आपस में बतियाती थी
पानी भरकर
फिर घूंघट में
घर की ओर आती थी
सुन्दर सा चेहरा घूंघट में
जो न किसी को दिखाती थी
घूंघट को ही गहना समझकर
वो गोरिया शरमाती थी