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Wednesday, December 30, 2009

नया साल


नये साल में जब हम अपनी
गर्लफ्रेंड से मिलेंगे
दिल में हमारे मुहब्बत के
गुल खिलेंगे
5 स्टार होटल में ले जाकर
उसको खाना खिलाऊंगा
बर्तन मान्झकर होटल का
बिल चुकाऊंगा

पप्पू


पूरे साल की मौज मस्ती
अब तो कुछ कर
ओ यार पप्पू बहुत हुआ
अब तो थोडा पढ़
गर्लफ्रेंड भी बना ली तुने
खूब मौज उड़ा ली तुने
सिगरेट की धुआ उड़ाना
अब तो बंद कर
ओ यार पप्पू बहुत हुआ
अब तो थोडा पढ़
टीचर को परेशान किया
कॉलेज में अपना नाम किया
लैब में कभी न जाके
लैब पर एक अहसान किया
टीचर को टोपी पहनाना
अब तो बंद कर
ओ यार पप्पू ..............
थडी पर जाकर तुने खूब धुआ उड़ाई
और घर जाकर कह दिया
टीचर ने मेरी अटन्देंस नहीं लगाई
थडी पर जाना यार अब तो बंद कर
ओ यार पप्पू ..............
लड़ाई झगडे खूब किये
दोस्ती निभाई खूब
दोस्तों के साथ मिलकर
कॉलेज में मचाई धूम
अब तो अपने माइंड को
थोडा चेंज कर
ओ यार पप्पू बहुत हुआ अब तो थोडा पढ़


दोस्तों पप्पू पर इन सब बातो का क्या असर होता है, और असर होता भी है या नहीं और फिर वो क्या करता है जानने के लिए थोडा इंतज़ार कीजिये और  पढ़ते  रहिये
"एक कविता"....................

Tuesday, December 22, 2009

गम


गम में मेरी जान जा रही है
मुझे मेरी नानी याद आ रही है
अब फिर से घुट घुट  कर जीना पड़ेगा मुझे
क्योकि आज  मेरी बीवी मायके से वापस आ रही है l 

चांदनी रात


चांदनी रात में वो आई
साथ में अपने बाप को भी लाई
बाप ने ऐसी पिटाई लगाईं
दर्द से आज तक परेशान हू भाई

मुलाकात



एक हसीन बाला से
एक दिन हम टकरा गए
टकराते ही हम तो
बहुत ज्यादा घबरा गए
अचानक एक मीठी सी आवाज़
हमारे कानो में पड़ी
वो बोली आपको कही
ज्यादा तो नहीं लगी
उसको देखते ही हम
न जाने कहा निकल लिए
ख्वाबो में ही हमने
हसीन सपने बुन लिए
उसने फिर पूछा
आप ठीक तो है
हमने कहा हमारी छोडिये
आप तो ठीक है
उसने मुस्कुरा कर कहा
क्या है आपका नाम
हमने कहा जी श्याम
हम यही बाजू में रहते है
हमारे घर पधारिये
हम दिल से कहते है
उसने कहा अभी तो मुझे
ये सामान लेकर जाना है
मैंने कहा आप क्यों
तकलीफ करती है
सामान मैं पंहुचा देता हु
आपको भी आपके
घर तक छोड़ देता हु 
किसी कूली की तरह
सारा सामान उठाकर
हम चल दिए
घर पहुचकर जब मैंने
सारा सामान रख दिया
तो उसने भी प्यार से
कह दिया थैंक्यू  भैया
लगता है तुम्हारे जीजाजी
आ गए है
तुम्हारे भांजे देखो
वहा शोर मचा रहे है
हमारे ख्वाब वही टूटे
और करली मैंने तौबा
आज के बाद न करूँगा
कभी ऐसा काम
जिसके कारण मुझको
होना पड़े  बदनाम l 

महंगाई


एक दिन बाज़ार में
मिल गए मुझको वर्मा जी
बोले क्या हाल है
ठीक है या पहले की तरह
हाल बेहाल है
इस महंगाई में
दिन कैसे गुजर रहे है
घर के सारे झगडे
आसानी से तो सुलझ रहे है
मैंने कहा अरे रुको वर्मा जी
आपने तो सवालो की झड़ी लगा दी
सारी जिन्दगी की हकीकत
एक बार में ही बता दी
मेरी छोड़ो मेरा क्या
मेरी तो कैसे न कैसे
कट रही है
पर आप बताइए
आप पर कैसी गुजर रही है
अजी गुजर क्या रही है
हम पर तो बरस रही है
बीवी की गालियो की आवाज़
अभी अभी कानो में पड़ी है
और लगता है जैसे
वो हाथो में डंडा लेके
मेरे सामने खड़ी है
महीने की तनख्वाह
हफ्तों में ख़त्म हो जाती है
और बीवी बात बात में
ना जाने क्यों चिल्लाती है
अब तो हालात ऐसे है की
कहने पर भी मायके नहीं जाती है
और अपनी माँ को बुलाने की धमकी सुनाती है
सोच रहा हु मैं तो
एक सन्यासी बन जाऊ
सन्यासी बन कर तो सुख से
शायद जी पाऊ
इस महंगाई ने तो मेरी
कमर ही तोड़ दी है
मैंने तो खुश रहने की
जिंदगी में
आस ही छोड़ दी है